तिरुनेलवेली जिले का गठन 1 सितंबर, 1790 (तिरुनेलवेली दिवस) को ईस्ट इंडिया कंपनी (ब्रिटिश) द्वारा किया गया था और इसे टिनवेल्ली जिले का नाम दिया गया था।
तिरुनेलवेली को नेल्लई क्यों कहा जाता है?
इसका नाम तमिल शब्द तिरू ("पवित्र"), नेल ("धान"), और वेली ("बाड़") से लिया गया है, जिसका जिक्र एक किंवदंती है कि भगवान शिव ने एक वहाँ भक्त की चावल की फसल। पांड्य वंश के दौरान तिरुनेलवेली एक व्यापारिक केंद्र था।
तिरुनेलवेली में कौन सी जाति बहुसंख्यक है?
नादर (जिसे नादान, शनार और शानन भी कहा जाता है) भारत की एक तमिल जाति है। कन्याकुमारी, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली और विरुधुनगर जिलों में नादर प्रमुख हैं।
तिरुनेलवेली में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है?
तिरुनेलवेली में जाने के लिए प्रसिद्ध मंदिर:
नवा तिरुपति मंदिर । शंकरनारायण मंदिर, शंकरन कोविल। अरुलमिगु नचियार (अंडाल) थिरुकोइल, श्रीविल्लिपुथुर। सुचिन्द्रम अंजनेयर मंदिर।
तिरुनेलवेली में क्या है खास?
तिरुनेलवेली में घूमने के लिए शीर्ष 7 स्थान
- नेल्लईअप्पर मंदिर।
- शंकरनारायणन कोइल (शंकरनकोविल)
- पापनासम।
- कुत्तरलम।
- मुंदनथुराई टाइगर रिजर्व।
- उलागमन मंदिर।
- वेंकटचलपति मंदिर।