भारद्वाज गोत्र कौन हैं?

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भारद्वाज गोत्र कौन हैं?
भारद्वाज गोत्र कौन हैं?
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गोत्र के रूप में भारद्वाज का अर्थ है जो लोग ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं। ऋषि भारद्वाज ऋषि बृहस्पति के पुत्र थे। ऋषि अंगिरस के पुत्र ऋषि बृहस्पति थे। इन 3 ऋषियों को भारद्वाज गोत्र के त्रय ऋषि कहा जाता है। पहले के दिनों में ऋषि विश्वामित्र को छोड़कर ऋषि केवल ब्राह्मण थे।

जाति से भारद्वाज कौन हैं?

भारद्वाज भारत में ब्राह्मणों और राजपूतों भारद्वाज गोत्र द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला उपनाम है।

ब्राह्मणों में सबसे ऊंचा गोत्र कौन सा है?

वे हैं (1) शांडिल्य, (2) गौतम महर्षि, (3) भारद्वाज, (4) विश्वामित्र, (5) जमदग्नि, (6) वशिष्ठ, (7 कश्यप और (8) अत्रि। इस सूची में कभी-कभी अगस्त्य का भी नाम जुड़ जाता है। इन आठ ऋषियों को गोत्रकारिन कहा जाता है, जिनसे सभी 49 गोत्र (विशेषकर ब्राह्मणों के) विकसित हुए हैं।

भारद्वाज का जन्म कैसे हुआ?

महाकाव्य और पुराण शास्त्र

महाभारत में द्रोण का जन्म होता है जब भारद्वाज ने एक बर्तन में अपना वीर्य स्खलित किया। इसलिए भारद्वाज का सीधा संबंध महाकाव्य महाभारत के दो महत्वपूर्ण पात्रों - द्रोणाचार्य और द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा से है।

गोत्र कौन सी जाति है?

गोत्र मूल रूप से ब्राह्मणों (पुजारियों) के सात वंश खंडों को संदर्भित करता है, जो सात प्राचीन द्रष्टाओं से अपनी व्युत्पत्ति का पता लगाते हैं: अत्रि, भारद्वाज, भृगु, गोतम, कश्यप, वशिष्ठ, और विश्वामित्र।

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