विधवा पुनर्विवाह की शुरुआत किसने की?

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विधवा पुनर्विवाह की शुरुआत किसने की?
विधवा पुनर्विवाह की शुरुआत किसने की?
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राममोहन रॉय ने 1820 के दशक में विधवा पुनर्विवाह (डब्ल्यूआर) के लिए एक आंदोलन शुरू किया, जैसा कि 1830 के दशक में डेरोजियो और यंग बंगाल समूह ने किया था। भारतीय विधि आयोग (1837) ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और निष्कर्ष निकाला कि शिशु हत्या पर तभी अंकुश लगाया जा सकता है जब डब्ल्यूआर को वैध बनाया जाए।

विधवा पुनर्विवाह की शुरुआत किसने की?

हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856, अधिनियम 1856, 26 जुलाई 1856 को अधिनियमित, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के तहत भारत के सभी न्यायालयों में हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह को वैध बनाता है। यह लॉर्ड डलहौजी द्वारा तैयार किया गया था और 1857 के भारतीय विद्रोह से पहले लॉर्ड कैनिंग द्वारा पारित किया गया था।

भारत में सबसे पहले विधवा से किसने शादी की?

फिर भी यह एक ऐसी इमारत है जो भारतीय समाज पर एक चिरस्थायी छाप छोड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं में से एक थी। यह वह घर है जहां ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने पहली हिंदू विधवा से शादी की और समाज से गंभीर खतरे के खिलाफ हिंदू विधवा पुनर्विवाह की प्रवृत्ति शुरू की।

विधवा पुनर्विवाह समाज की शुरुआत किसने और कब की?

1850 के दशक में विष्णु शास्त्री पंडित ने विधवा पुनर्विवाह संघ की स्थापना की। करसोंडा मुलजी ने विधवा पुनर्विवाह की वकालत करने के लिए 1852 में गुजराती में सत्य प्रकाश की शुरुआत की। विधवा पुनर्विवाह आंदोलन: विधवा पुनर्विवाह के आंदोलन का नेतृत्व ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने किया था।

क्या विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति है?

पुनर्विवाह पर सामाजिक सुरक्षा नियम समय के साथ बदल गए हैं। सिर्फ 1979 सेविधवा(एर) को 60 पर या उसके बाद शादी करने की अनुमति दी गई है और लाभ राशि में कटौती का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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