सूरह अल-फातिहा (अरबी: سَورَةَ الْفَاتِحَة) कुरान का पहला अध्याय (सूरा) है। इसके सात छंद (आयत) ईश्वर के मार्गदर्शन, प्रभुत्व और दया के लिए प्रार्थना हैं। इस्लामी प्रार्थना (सलात) में इस अध्याय की एक आवश्यक भूमिका है। … इसका मतलब है कि सूरा अल-फातिहा पूरे कुरान का सारांश है।
सूरह फातिहा को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
सूरह अल फातिहा (अरबी पाठ में: الْفَاتِحَة) सूरह 1 या पवित्र कुरान का पहला अध्याय है। इस सूरह का अंग्रेजी अर्थ "द ओपनिंग" कहलाता है। इसे एक मक्का सूरह के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसका अर्थ है कि इसका रहस्योद्घाटन पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के याथ्रिब (मदीना) में प्रवास करने से पहले हुआ था।
सूरह अल फातिहा के 7 नाम क्या हैं?
इस सेट की शर्तें (7)
- उम्म अल-कुरान।
- उम्म अल-किताब।
- सबा-उल मथानी।
- अस-सलाह।
- अल-हमद।
- ऐश-शफ़ी।
- अर-रुक्याह।
सूरा फातिहा किसके लिए अच्छा है?
पवित्र पैगंबर (स) ने कहा कि अल्लाह (S.w. T.) 1. अधूरी नमाज़: मुसलमान हर नमाज़ में इस सूरह का पाठ करते हैं। सूरह फातिहा लाभों में मुख्य लाभ यह है कि यह हमारी प्रार्थना को पूरा करता है । इस सूरत का पाठ सीने के दर्द से भी राहत दिलाता है।
सूरा फातिहा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
(Warmi)सूरह अल-फातिहा का पाठ करना चाहिए 41 बार भोर में और अल्लाह (عزوجل) हर दर्द को ठीक कर देगा।