भगवान अपने अस्तित्व, पूर्णता, उद्देश्यों और वादों में अपरिवर्तनीय हैं। भगवान कभी बेहतर नहीं हो सकते और वे कभी बदतर नहीं हो सकते। उसका पूर्ण अस्तित्व बदलने में असमर्थ है, क्योंकि ऐसी क्षमता अपने आप में अपूर्णता का संकेत देती है।
अपरिवर्तनीय प्रकृति क्या है?
शेष वही; निरंतर अपरिवर्तनीय प्रकृति।
यह क्यों महत्वपूर्ण है कि ईश्वर अपरिवर्तनीय है?
एक यह है कि दिव्य अपरिवर्तनीयता केवल गारंटी देता है कि भगवान का चरित्र अपरिवर्तनीय है, और यह कि भगवान अपने वादों और वाचाओं के प्रति वफादार रहेंगे। यह पहला दृष्टिकोण परमेश्वर में अन्य प्रकार के परिवर्तन को रोकता नहीं है।
भगवान का स्वरूप क्या है?
ईसाई मानते हैं कि एक ही ईश्वर है, जो संसार का निर्माता और पालनकर्ता है। उनका मानना है कि परमेश्वर तीन व्यक्ति हैं - पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा - जिन्हें त्रिएकता के रूप में जाना जाता है।
भगवान के 3 स्वरूप क्या हैं?
ईसाई मानते हैं कि ईश्वर एक है लेकिन तीन अलग-अलग 'व्यक्तियों' में मौजूद है। परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा - और ये तीनों व्यक्ति एकता का निर्माण करते हैं।